Ram Mandir
जय राम जी कुछ ऐसा जो खोया हुआ था क्या, किससे कहें न शब्द न आकार कुछ भी नहीं मेरे पास अंदर कुछ खाली सा उसकी तलाश जारी रही एक वेदना सदा सताती रही आज कुछ तो मिल गया तभी एक सुकून आया है हलांकि घाव अब भी काफी गहरा है उसी के भरने की प्रतीक्षा है ©️Rajhansraju ****** हमारी कहानी मैं राम को अपने कैसे मानूं यह मेरी इच्छा पर छोड़ दो मैं अच्छा हूँ या बुरा मेरी चर्चा छोड़ दो मैं जैसा भी हूँ मुझको मेरे हाल पर छोड़ दो मुझमें थोड़ी कम अकल है या फिर समझ बड़ी है मैं जय सियाराम कहूँ या फिर जय श्री राम मेरी मर्जी पर छोड़ दो मैं किस घट में ढूंढूंगा या फिर कैसे पहुँचुंगा उन तक इसकी फिक्र मत करो आज नहीं तो कल मैं उनसे मिल लूंगा कोई भी रूप सही मेरी इच्छा होगी जैसी उनको कैसे भी गढ़ लूंगा इसकी फिक्र तुम मत करो मैं अपना समझ लूंगा यह बात जो तुम समझा रहे हो सच बोलो क्या तुम समझ गए हो या फिर ऐसे ही तु...