Posts

Munadi

Image
मुनादी  ******* सुनता तो यही आया हूँ,  तुम हर जगह हो, और अब मै भी,  सबसे यही कहने लगा हूँ, पर! न जाने क्यों ? तुम पर यकीं करने का, मन नहीं करता,  क्योंकि जब भी?  कोई फिक्र की बात थी, तब सच में वहाँ नहीं थे, लोग आते रहे,  तुम्हारे होने का भरोसा दिलाते रहे, मै चुपचाप तुम्हारी बात सुनता रहा, हलांकि मै साक्षी हूँ, हर उस लम्हे का,  जब तुम बहुत दूर थे, और मेरे लिए नहीं थे, फिर वही आवाज,  रह-रहकर गूँज उठती है, तुम हो यहीं पर हो, हर बार की तरह इस बर भी, मै तुम्हारा वजूद,  ढूंढता रह जाता हूँ, सिर्फ शोर है, जहाँ एक दूसरे की आवाज,  ठीक से सुनाई नहीं देती, जबकि दावा यही है कि सिर्फ़ उसने, उसकी आवाज सुनी है, बाकी सब बहरे हैं, जैसा मैं कहता हूँ, वही सही है, खैर! इसकी भी मुनादी जरूरी है, उसको अपनी बात सबसे कहनी है, इस मुश्किल घड़ी में, एक राह सूझी, उसे पता चला इन, बहरों के बीच एक गूँगा रहता है, मुनादी का काम इसे मिल गया, वह पूरे दिन मुनादी करता रहा, बहरों को सब कुछ,  पहले जैसा ही लगा, उन्हें कुछ सुनयी नहीं दिया,

Mango tree

Image
आम का पेड़  *********** ।। Sonai my village।। गाँव से शहर की तरफ आते हुए,  सड़क किनारे खूबसूरती ओढ़े,  ए महाशय सदा की तरह चुपचाप खड़े थे,  हमने कहा चलिए आपकी एक फोटो हो जाये ।। सोनाई मेरा गाँव।।  **************************** (१) बहुत दिनों बाद नये पत्तों में उसको देखा,  ए पतझड़ के बाद, इस तरह से संवरने का, मौसम आता है,  एकदम अनजाना, बिना पहचाना सा लगता है, सबने उसे देखकर,  यही सवाल पूछा,  यह दरख्त,  किसका है, उसने कुछ नहीं कहा, बूढ़ा "महुआ" नये पत्तों के साथ,  मुस्कराता रहा.. ©️rajhansraju ************************ (२)  जड़े बची हैं  एक पौधे का जन्मभूमि छोड़कर,  दूर जाना,  फिर किसी और खेत कि,  मिट्टी में जम जाना. उसकी अपनी मर्ज़ी नहीं थी,  पर! छोड़ना पड़ता है,  उस मिट्टी को जहाँ जन्म लिया. तोड़ना पड़ता है,  उसी से नाता.  कहीं भी बो दिया जाता है,  जड़ ज़माने को,  खुला छोड़ दिया जाता है. पौधे अपनी जड़,  नई मिट्टी में भी जमा लेते हैं. नए रिश्ते,  वहाँ के खाद-पानी से बना लेते हैं. ख

Samvad

Image
संवाद  ********** वह मुसाफिर  जिसे अब ए भी याद नहीं, वह किस देश का है, उसकी जुबान कौन सी है? वह सारा जहाँ,  देखने का दावा करता है, हर मुल्क के बाशिंदों से मिला है, सब जगह उसके दोस्त रहते हैं, हलाँकि सभी जुबानें,  बोल तो नहीं पाता, पर तमाम जुबानों को, पहचान लेता है, और जब वह,  किसी अनजानी जुबान से मिलता है, चुपचाप उनको देखता है उनकी आँखों में सब कुछ, बाकियों जैसा ही तो रहता है, जिसको समझने के लिए, किसी जुबान का आना, जरूरी नहीं होता, बस थोड़ी देर ठहरकर,  महसूस करना है, ठीक उसी तरह,  जब बच्चे एकदम छोटे होते हैं, वो कुछ नहीं कहते, पर! माँ सब समझ जाती है, बिना शब्दों के, सारे संवाद हो जाते हैं, और कभी-कभी लगातार बोलते रहने के बाद भी, कोई संवाद कहाँ हो पाता है? बात उस समय की है, जब वह बहुत छोटा था, कहीं के लिए निकला था, शायद किसी चीज के पीछे, नन्हे कदमों से बहुत तेज, भागा था, वो क्या था?  अब तक नहीं समझ पाया, पर उसमें एक कशिश थी, जिसे पाने के लिए, उसके पीछे लगातार भागता रहा, और आज तक लौट नहीं पाया,