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Samvad

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संवाद  ********** वह मुसाफिर  जिसे अब ए भी याद नहीं, वह किस देश का है, उसकी जुबान कौन सी है? वह सारा जहाँ,  देखने का दावा करता है, हर मुल्क के बाशिंदों से मिला है, सब जगह उसके दोस्त रहते हैं, हलाँकि सभी जुबानें,  बोल तो नहीं पाता, पर तमाम जुबानों को, पहचान लेता है, और जब वह,  किसी अनजानी जुबान से मिलता है, चुपचाप उनको देखता है उनकी आँखों में सब कुछ, बाकियों जैसा ही तो रहता है, जिसको समझने के लिए, किसी जुबान का आना, जरूरी नहीं होता, बस थोड़ी देर ठहरकर,  महसूस करना है, ठीक उसी तरह,  जब बच्चे एकदम छोटे होते हैं, वो कुछ नहीं कहते, पर! माँ सब समझ जाती है, बिना शब्दों के, सारे संवाद हो जाते हैं, और कभी-कभी लगातार बोलते रहने के बाद भी, कोई संवाद कहाँ हो पाता है? बात उस समय की है, जब वह बहुत छोटा था, कहीं के लिए निकला था, शायद किसी चीज के पीछे, नन्हे कदमों से बहुत तेज, भागा था, वो क्या था?  अब तक नहीं समझ पाया, पर उसमें एक कशिश थी, जिसे पाने के लिए, उसके पीछे लगातार भागता रहा, और आज तक लौट नहीं पाया,

Dahlij

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दहलीज  ******* रोशनी और अंधेरे के बीच,  एक दहलीज है, वक्त का एक लम्हा,  न जाने क्यों? कब से वहीं ठहरा हुआ है, अच्छा है बाकी सभी,  इस पार है,  नहीं तो उस पार है, उन्हें सिर्फ रोशनी, या अंधेरे से वास्ता है, दहलीज पर वो लम्हा, अब भी रुका है, उसके एक तरफ रोशनी है दूसरी तरफ घनघोर अंधेरा है, वह दोनों तरफ, देखता और सुनता है, अंधेरे-उजाले के चर्चे, सुनता रहता है, दोनों के बीच में खड़ा, मुस्कराता रहता  ©️rajhansraju ***************************** (2) Delhi to Mumbai शर्म के सिवा सब है  फक्र करने की वजह क्या अब भी बची है? अब किसी के मजहब का जिक्र मत करना बेहयायी में सब एक जैसे हैं कफन ओढ ली है जमीर मरे एक अर्षा हो गया। फिर वजह का जिक्र होगा कोई सियासत, कोई मजहब का, अजीब सा वजूद गढ़ रहा होगा। ए सही है यही होगा ठेकेदार चिल्ला रहा होगा फिर जो सबसे कमजोर होगा सारा इल्जाम उसी पर लगेगा बहुत होगा कुछ देर शोर मचेगा जल्द ही बोर हो जाएंगे सब भूल जाएंगे उसी मरे ज़मीर में लौट जाएंगे। ©️Rajhansraju ******

Ishq

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इश्क़  ****** वह इश्क के इजहार में, दुनिया की हर बात कहता रहा इश्क कैसे किया जाता है उसका जो पैमाना है कायदे की किताब पढ़ता रहा इश्क पर खरा उतरना था वह सब कुछ बड़ी खूबी से करता रहा इश्क को जैसे वही बुलंदी पर ले जायेगा  मतलब परचम फहराएगा इसी कोशिश में उसे लगने लगा अब वह उसके बगैर नहीं रह सकता उसे कहीं और चलना चाहिए  इसी कोशिश में एक दिन जब वह नदी की  आगोश में खोई हुई थी वह तो सिर्फ नदी से मुहब्बत करती है उसके आसपास कौन है इसका उसे एहसास ही नहीं था पर! यह मोहब्बत करने वाले कहां मानते हैं? अपने इश्क का इजहार पूरे अधिकार से करते हैं उसे हर वक्त अपने साथ रखना चाहते हैं इसी ख्वाहिश में उसे नदी के दामन से खींच लाया अपने मजबूत हाथों से बहुत दूर ले आया मनमाफिक तरीके से जीना चाहता है उसकी हदें इश्क में तय करता है न जाने कब तलक भागता रहा एक ही चाहत है  उनके दरमियां कोई और न हो पर! इस एक तरफा इश्क में अक्सर जिससे इश्क का दावा किया जाता है उसे तो पता ही नहीं होता,  उससे कोई इस तरह बेपनाह मुहब्बत करता है।  आशिक अपनी  बेखबरी में इस तरह  खोया हुआ है   उसे महबूब की  रजा से कोई मतलब नहीं है,  जबकि वह

Rangrez

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रंगरेज ******** वह अपने, हसीन रंग पर इतराता रहा, चेहरा धुलने से घबराता रहा, खुद का सामना करना, बड़ा मुश्किल है, दूसरों को आइना दिखाता रहा, वह डरता है, पानी की आदत से, जो धीरे-धीरे, सारे निशान मिटा देता है, किसी के कुछ भी होने की। वह तो बहता, सभी रंग खुद में भरता है, वो उस रंगरेज के, इशारों पर चलता है, जो जहाँ,जैसा चाहे, अपने रंग भरता है। ©️rajhansraju *****************************

Mera asaman

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मेरा आसमान  ************ सोचता हूँ क्या कहूँ? लड़खड़ाते कदम अच्छे हैं, या फिर लड़खड़ाती आवाज, कुछ भी हो? अच्छा नहीं लगता, नींद का यूँ खो जाना। शायद! कभी-कभी, किसी को अलविदा कहना, बड़ा मुश्किल होता है, वो भी जिसके साथ इतना वक्त गुजारा, उसने भी तो भरपूर साथ निभाया, फिर उसके लिए, चंद रातें जाग लेना, बुरा तो नहीं है, हो सकता है, उसको आखरी बार, जी भर कर देखने की चाहत हो, अब एक दूसरे को, आखरी अलविदा कहना है। वो दुःख जो उसका अपना है, जिसकी चादर ओढ़े है, उसी से एक सुकून है, जिसको कसके थामा है, कम से कम वो उसका अपना है, हलाँकि साँस उसकी चलती नहीं, धड़कन सुनाई देती नहीं, पर गरदन जिसने पकड़ा है, वह कहता उसको अपना है, छोड़कर उसको चल न दे, यूँ ही जिंदा छोड़ दे, ए भी उसके लिए, अच्छा नहीं है, जिंदगी से डरता है, खुद का सामना, कहाँ करता है? कहीं आँख पूरी खुल गयी, या नींद उसको आ गयी, कुछ और सपने आ गए, या सच थोड़ा सा दिख गया, तब पुराना दुःख कहाँ रह पाएगा, बिना उसके, पास क्या रह जाएगा? जबकि, एक कच्

Sangam

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गंगा-यमुना का संगम ****************** कुछ पल,  ठहर कर देखा, वह अब भी वैसे ही, बाँह फैलाए, अपने दामन में भरने को, धीरे-धीरे बढ़ रही, मै मूरख भागा डरके, समझ न पाया, उसके मन को, ऐसे ही भाग रहा, न जाने कब से? जबकि उसकी बाँहे, तो गंगा-यमुना हैं, जो निरंतर बाँध रही, हम सबको। rajhansraju *************************** तूँ नदी है   *************** बस यही करना है, जो कुछ? अच्छा या बुरा हुआ, उसे भुला कर, कत्ल न तो करना है, और न होना है। फिर जो दरिया है, वो भला क्या डूबेगा? कभी कुछ वक्त के लिए, नदी भी समुन्दर बन जाती है, तो वह सिर्फ, पानी की ताकत बताती है, ऐसे में कुछ नहीं करना है, बस किनारों को, थामकर रखना है, ए दोनों तेरे अपने हैं, इन्हीं के बीच रहना है, अभी बरसात का मौसम है, ए भी गुजर जाएगा, तूँ फिर वही नदी हो जाएगा, जो सबकी प्यास बुझाती है। फिर क्यों इतना परेशान है? जो अपनी प्यास बुझाने को, इधर उधर भटकता है, जबकि तूँ... खुद नदी है, पानी से बना है लबालब भरा है। जिसे दर बदर ढूँढता फिर रहा है,