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Mera shehar

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मेरा शहर  ********** कितना मुश्किल है  खुद को बचाए रखना, खासतौर पर उन परिंदे को जिनमें थोड़ी गोश्त होती है, हमारे शहर भी कुछ ऐसे ही हैं, जो अब भी इंसान की तरह जीते हैं, तभी तो उनके  नाम बदल जाते हैं, और उसका कत्ल भी होता है, उसका लहू बहता है, मातम पसर जाता है, उसके श्मशान बन जाने का, शोर भी होता है, सुना है आज वो मर गया, जिसके जश्न की खबर भी छपी है, वह किसी गैर मजहब, बिरादरी का शहर था, उसमें अब भी कुछ गोश्त बाकी है, शायद इस वजह से, धमाके कुछ रुक-रुक के हो रहे हैं, दूसरे शहर के लिए नारे लग रहे हैं, अब यहाँ पूरी खामोशी है, कहते हैं अमन कायम हो गया, पर वो शहर अब नहीं रहा, कुछ भी सही सलामत नहीं है, जो जिस्म जिंदा हैं, वो पूरी तरह खाली है, उनके सामने पूरा शहर मर गया, और न जाने कितनों का, वजूद भी खत्म हो गया, शहर कभी तन्हा नहीं होता, वह अपने हर, शख्स के साथ रहता है, तभी तो जब कोई, किसी दूसरे शहर जाता है, उसकी पहचान में, उसके शहर का नाम आता है, अब हम हर उस शहर के लिए, दुआ करते हैं, जो पूरा जिस्म है जिसकी सांसे चल

Roshani

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रोशनी  ******** एक किरण  जब गुजरती है, किसी अंधेरे से, वह कितना भी घना हो, मिट जाता है,  दिया उम्मीद है, हजारों हसरतो की, हम भी रौशन कर ले, अपने उसी कोने को ©️rajhansraju ***************** (2)  धूप और छांव कभी धूप, कभी छांव चाहिए, ए हम लोग, बड़े अजीब हैं, जो है, बस वही नहीं चाहिए, आँख खोलिए, रोज... हमारे लिए, एक नई सुबह है, अब चहकने के लिए, और क्या चाहिए.. ©️rajhansraju **************** (3) अछूत तुम कैसे हो, मै कैसा हूँ.  जीवन का रंग क्यों ऐसा है,  सबका रंग सबकी जात,  कहती है कुछ ऐसी बात,  जीवन पथ पर पर,  चलते साथ,  दूर रह जाते क्यों हाथ,   एक स्पर्श की होती चाह,  पर रंग जात आती है राह,  एक राह पर चलते जाते,  दूर कदम, मिल न पाते,   मै जीतूंगा,  मै बड़ा हूँ,  चाहे तन्हा ही खड़ा हूँ,  न बढ़े कदम,  न बढ़े हाथ,  तन्हा कोई नहीं साथ,  जात रंग का भेद न छूटा, अहंकार क्यों न टूटा,  मानके तुमको सूत,  बना रहा मै अछूत,  मेरी पवित्रता इतनी कमजोर,  स्पर्श मात्र से हो जाती चूर,  भागता रहा मै,  लिए जात,  तु