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Thakan

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 सूरज की थकान  ************** सूरज दिन भर जलता है,  प्रकाशित सारी दुनिया करता है, पर ! एक दम तन्हा दिखता है,  लगता है घर से दूर,  काम पर निकला है, दिन भर तन्हाइयों में जीता है, फिर कैसे ? इतनी ऊर्जा, अपने अन्दर भरता है, रोज़ ख़ुशी-ख़ुशी क्यों?  जलने चल पड़ता है, वह भी जिम्मेदार ही लगता है,  जो परिवार के लिए जीता है, इसलिए हर सुबह, समय से काम में लग जाता है, हाँ! जलते-जलते वह भी, थकता है, शाम की गोद में वह भी ढलता है,  माँ का आँचल वह भी ढूँढता है, अपने भाई बहन, चाँद सितारों संग गुनगुनाता है,  चांदनी के संग नाचता है, उसकी माँ रात,  पूरे आसमान पर छा जाती है , बेटे को प्यार से सुलाती है, सूरज के दिन भर की थकान, शाम की मुस्कराहट,  रात की हंसी, भोर की खिलखिलाहट, से ही मिट जाती है, सूरज नई ऊर्जा, नई आग ले,  खुद को जलाने, चल पड़ता है, हर सुबह,  सारे जहाँ को रौशन करने, सूरज की तरह हमें भी, नई ऊर्जा नई आग भरनी है, चंद राहें ही नहीं,  हर घर को रौशन करना है, खुद को जलाकर कर ही,  हम सूरज बन पाएंगे। दुनिया में हम हीी,  नया प्रकाश लाएंगे, अपने आकाश में हमें भी,

Yuddh : The war

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युद्ध   ****** किसी युद्ध के दौरान  जब शौर्य गाथाएं  कही जाती है  उसमें सिर्फ सैनिकों का  जिक्र होता है  किसने कैसे किसको मारा  बहादुर वही कहलाता है  जो ज्यादा से ज्यादा लोगों को  हताहत करता है  यह युद्ध का नियम  कुछ ऐसा ही है   मरने-मारने दोनों में  बहादुरी का परचम फहराया जाता है  सीमाओं का निर्धारण   अक्सर युद्ध से ही किया जाता है  हर जगह जो खबर छपती है  उसमें इन्हीं सैनिकों का  जिक्र होता है  जो जीतकर आते हैं  वहां उनके घर  उनके देश में  उनकी बटालियन में  पूरा जश्न मनाया जाता है  जो बेजान देह लेकर लौटते हैं  उनका भी भरपूर स्वागत होता है  फौजी को अजीब तरह की जश्न की आदत पड़ जाती है  वह जिंदा रहे या ना रहे  दोनों ही परिस्थितियों में  नारे बहुत लगते हैं  पर असली लड़ाई  कहीं और लड़ी जाती है  जिसमें हर सिपाही का घर  शामिल होता है  उसके मां बाप, भाई-बहन  बीबी-बच्चे, दोस्त  जब वह  किसी मोर्चे पर तैनात होता है  युद्ध के हालात होते हैं  तब लड़ाई इन्हीं घरों में  लड़ी जाती है  जहां दुआओं के सिवा  कोई कुछ नहीं कर पाता  कहीं बुरी खबर न आ जाए  इस बात से  हर वक्त डरता रहता है  प्रार्थना में