जरा गौर करना

चुप रहने कि कोशिश नाकाम रहती है,
क्या करे वो जो देखता है,
सुनता है, महसूस करता है,
वह नारा बनता भी है,
लगाता भी है,
और परेशान रहता है
अपनी पहचान के खातिर,
फिर देखता है,
अपने जैसे तमाम चेहरे,
जो भीड़ में निकले हैं,
क्या सिर्फ खो जाने को ?
वो देखो? कौन है?
उस जगह पर,
कुछ बाँध रहा है?
या समेट रहा है खुद को,
सबके बीच में,
सबसे जुदा नजर आता है वो,
ए सच,
सिर्फ तुझको मालूम है,
कौन है वो?
हाँ ! जरा गौर कर,
तूँ जिससे कुछ कह रहा,
और जो तूँ सुन रहा है,
देख तेरे आसपास,
तेरे सिवा,
कोई नहीं है..
rajhansraju