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Tanhai

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वह अकेला है *********** वह अब भी अकेला है , सदियों से यही होता रहा , उसने जो भी कहा,  किसी के समझ नहीं आयी , भीड़ ने उसकी एक न सुनी , वह चुप-चाप , किसी कोने में जाकर खडा‌ हो गया ,   वक़्त का पहिया आगे बढा‌ , उलझने बढ़ने लगी , तब वह कुछ याद आने लगा , किसी ने कहा वह कबीर था , कुछ ने कहा , नहीं वह फकीर था , अब उसे ढूंढने लगे , पर कोई पहचानता नहीं था , वह अब भी , पास वाले कोने मे,  खडा‌ बड़बडा रहा है , जिसे कोई सुन नहीं रहा.. ©️rajhansraju  *********************** (2) Accident  ********** सड़क किनारे कहीं,      जब भीड़ होती है.  डर लगता है,  खौफ होता है. सहमे हुए कदम लिए,  आगे बढ़ता हूँ. कोई अपना न हो,  दुआ करता हूँ.  दूर से देख के लौट आता हूँ, अपना नहीं जानके,  सकून पाता हूँ. अपनी राह,  चुपचाप चल देता हूँ. एक दिन,  मैं ऐसे ही पड़ा था. भीड़ थी,  कोई अपना नहीं था ©️rajhansraju  ****************** (३) समझ ******** काश मुझमे थोडी समझ होती , रामयन , कुर

Zameen

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जमीन  ******* * मेरे पास में ही,  ज़मीन का एक टुकड़ा था,  बेवज़ह बैठने,  बच्चों  के खेलने की जगह थी,  कुछ सालों से ज़मीन की कीमतें,  तेज़ी से बढ़ने लगी,  वह तमाम शातिर लोगों की, नज़र में गड़ने लगी,  पता चला उसमे कुछ,  जाति और धर्म के विशेषज्ञ थे,  उनके पास हथियार और झंडा था,  पता नहीं किससे? किसकी?  सुरक्षा की बात होने लगी,  घंटो बैठकें हुई,   बच्चों को भी उनके झंडे और हथियार,  नए खिलौने जैसे लगे,  चलो..अब इनसे खेलते हैं,  इस खेल-खेल में  न जाने?  कब वो खुद से बहुत दूर हो गए,   घर की फ़िक्र छोड़,  झंडा लेकर चलने लगे,  कुछ बच्चों की लाशें, घर आयी,  कुछ पहचानी  गयी, ज्यादातर का अब तक,  पता नहीं चला, उस मैदान में खेलने गए,  बच्चों का घर में, अब भी, इंतज़ार होता है, माँ-बाप को झण्डों का फर्क, समझ नहीं आता है।  खैर...   अब उस ज़मीन पर,  एक बड़ा शॉपिंग मॉल है,  आज किसी दूसरे शहर में  फसाद की खबर आयी है,   सुना है वहाँ भी,  ज़मीन का कोई  टुकड़ा  खाली था.....          ©R ajhansraju ************************** (2) Smart City  *