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Zameen

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जमीन  ******* * मेरे पास में ही,  ज़मीन का एक टुकड़ा था,  बेवज़ह बैठने,  बच्चों  के खेलने की जगह थी,  कुछ सालों से ज़मीन की कीमतें,  तेज़ी से बढ़ने लगी,  वह तमाम शातिर लोगों की, नज़र में गड़ने लगी,  पता चला उसमे कुछ,  जाति और धर्म के विशेषज्ञ थे,  उनके पास हथियार और झंडा था,  पता नहीं किससे? किसकी?  सुरक्षा की बात होने लगी,  घंटो बैठकें हुई,   बच्चों को भी उनके झंडे और हथियार,  नए खिलौने जैसे लगे,  चलो..अब इनसे खेलते हैं,  इस खेल-खेल में  न जाने?  कब वो खुद से बहुत दूर हो गए,   घर की फ़िक्र छोड़,  झंडा लेकर चलने लगे,  कुछ बच्चों की लाशें, घर आयी,  कुछ पहचानी  गयी, ज्यादातर का अब तक,  पता नहीं चला, उस मैदान में खेलने गए,  बच्चों का घर में, अब भी, इंतज़ार होता है, माँ-बाप को झण्डों का फर्क, समझ नहीं आता है।  खैर...   अब उस ज़मीन पर,  एक बड़ा शॉपिंग मॉल है,  आज किसी दूसरे शहर में  फसाद की खबर आयी है,   सुना है वहाँ भी,  ज़मीन का कोई  टुकड़ा  खाली था.....          ©R ajhansraju ************************** (2) Smart City  *

Aahat

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आहट ****** * आवाज़ आहट की उसके, कुछ इस तरह आती है, हवा चुप-चाप छूकर गुज़र जाती है। उसके होने की तमाम निशानियाँ, बिखर जाती हैं, वह ख़ामोशी से जब कहीं से गुज़र जाती है, उसकी खुशबू अब तक यहाँ कायम है, तितलियाँ आकर यही बताती हैं, चिड़ियों ने चहचहाकर जो गीत गाया है, उसकी धुन से यह राग आया है, बंद आँखों से जो दुनिया दिखाई देती है, उसकी चाहत है, हर तरफ, एक आहट सुनाई देती है। rajhansraju  ***********************   (2) Tsunami  पल में ही,  ख़त्म हो गया सब कुछ , चिता जलाने को भी,  कम पड़ गए लोग । दफ़नाने को भी,  कहीं नहीं कोई , सारे पहचान,  हो गए ख़त्म । बस एक ही नाम मृत,  लाश बन गए सब लोग, जीवन कितना छडिक,  हर कोई भाग रहा है, कोई जीवन के लिए,  तो कोई म्रत्यु के डर से। पर ! सभी नाकाम, एक सा ही अंजाम, कोई इस पल,  तो कोई उस पल , इसी मिट्टी में मिल गया, बिना किसी नाम,  बिना किसी पहचान के, कुछ लोगों को,  न मिट्टी मिली,  न आग, वह काम आए,.  परिंदों के rajhansraju ******************* (3) बंधन क्या कहीं कोई आज़ाद है? सब कुछ एक नियम से