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Thakan

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 सूरज की थकान  ************** सूरज दिन भर जलता है,  प्रकाशित सारी दुनिया करता है, पर ! एक दम तन्हा दिखता है,  लगता है घर से दूर,  काम पर निकला है, दिन भर तन्हाइयों में जीता है, फिर कैसे ? इतनी ऊर्जा, अपने अन्दर भरता है, रोज़ ख़ुशी-ख़ुशी क्यों?  जलने चल पड़ता है, वह भी जिम्मेदार ही लगता है,  जो परिवार के लिए जीता है, इसलिए हर सुबह, समय से काम में लग जाता है, हाँ! जलते-जलते वह भी, थकता है, शाम की गोद में वह भी ढलता है,  माँ का आँचल वह भी ढूँढता है, अपने भाई बहन, चाँद सितारों संग गुनगुनाता है,  चांदनी के संग नाचता है, उसकी माँ रात,  पूरे आसमान पर छा जाती है , बेटे को प्यार से सुलाती है, सूरज के दिन भर की थकान, शाम की मुस्कराहट,  रात की हंसी, भोर की खिलखिलाहट, से ही मिट जाती है, सूरज नई ऊर्जा, नई आग ले,  खुद को जलाने, चल पड़ता है, हर सुबह,  सारे जहाँ को रौशन करने, सूरज की तरह हमें भी, नई ऊर्जा नई आग भरनी है, चंद राहें ही नहीं,  हर घर को रौशन करना है, खुद को जलाकर कर ही,  हम सूरज बन पाएंगे। दुनिया में हम हीी,  नया प्रकाश लाएंगे, अपने आकाश में हमें भी,